🌟 कान से पस क्यों आता है? (कारण)
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बार-बार सर्दी-जुकाम या नाक बंद रहना
नाक और कान आपस में जुड़े होते हैं। नाक की एलर्जी और जुकाम कान तक फैलकर पस बना देते हैं।
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कान में संक्रमण (Infection)
बच्चों और बड़ों में बार-बार गंदा पानी या धूल-मिट्टी लगने से कान में कीटाणु पनपते हैं।
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कान का पर्दा फटना (Ear Drum Perforation)
अगर कान में चोट लगे, ज़्यादा दबाव पड़े या पुराना संक्रमण रहे तो कान का पर्दा फट सकता है, जिससे पस निकलता है।
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कान में चोट या खुरचना
कॉटन बड, माचिस की तीली, हेयर पिन से कान कुरेदने से ज़ख्म और इन्फेक्शन होता है।
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बच्चों में बार-बार कान बहना
बच्चों में कान बहने की वजह से सुनाई कम होना, बोलने में देरी और पढ़ाई में दिक़्क़त हो सकती है।
✅ क्या करें (Do's)
- कान से पस आते ही ENT डॉक्टर को दिखाएँ।
- कान हमेशा सूखा रखें। नहाते समय कान में पानी न जाने दें।
- डॉक्टर द्वारा दी गई दवा और कान की ड्रॉप्स पूरा कोर्स करें।
- बच्चों के कान बहने को हल्के में न लें।
- अगर कान में बदबू वाला पस, खून या साथ में सिरदर्द/चक्कर आ रहा है तो तुरंत हॉस्पिटल पहुँचें।
❌ क्या न करें (Don'ts)
- कान में कुछ भी न डालें (कॉटन बड, तीली, हेयर पिन, सरसों का तेल, लहसुन का रस आदि)।
- बिना डॉक्टर की सलाह के बार-बार दवा बदलना या बीच में रोक देना न करें।
- "अपने आप ठीक हो जाएगा" सोचकर देर न करें।
- गंदे तालाब/नदी में नहाते समय कान में पानी न जाने दें।
🏠 सुरक्षित घरेलू सावधानियाँ (Home Care)
⚠️ याद रखें: घर के नुस्ख़े इलाज का विकल्प नहीं हैं, सिर्फ़ अस्थायी मदद कर सकते हैं।
- कान में पानी न जाए, इसके लिए रुई पर थोड़ा नारियल तेल या वैसलीन लगाकर कान में ढक सकते हैं (नहाते समय)।
- कान के बाहर की त्वचा को हल्के हाथ से साफ़ करें, लेकिन भीतर कुछ न डालें।
- कान बहने पर गुनगुना कपड़ा कान पर हल्के से रखें (गरम सेंक जैसा) – दर्द में आराम मिलेगा।
- बच्चे के कान बह रहे हों तो स्कूल और पढ़ाई पर असर पड़ने से पहले डॉक्टर से जाँच कराएँ।