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🦻 सुनने की कमी (Deafness - Hearing Loss)

5 शुरुआती लक्षण जिन्हें लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं

Satkriti Hospital, वाराणसी द्वारा जागरूकता गाइड

🌟 क्यों यह गाइड पढ़ना ज़रूरी है?

सुनने की कमी धीरे-धीरे शुरू होती है। लोग इसे "उम्र का असर" या "सर्दी-जुकाम का असर" समझकर टाल देते हैं।

👉 लेकिन जब तक समस्या गंभीर होती है, तब तक बचाव का सही समय निकल चुका होता है।

इसलिए, इन 5 शुरुआती लक्षणों को समझना और सही समय पर कदम उठाना बेहद ज़रूरी है।

1

बार-बार "क्या कहा?" पूछना

यह सिर्फ़ ध्यान न देने की आदत नहीं है — यह सुनने की कमी का शुरुआती संकेत है।

✅ Do's - क्या करें

  • परिवार के साथ धैर्य से ध्यान दें: अगर वे बार-बार रिपीट करवाते हैं, इसे मज़ाक न समझें।
  • धीरे और साफ़ बोलकर परखें कि समस्या सुनने में है या ध्यान में।
  • ENT विशेषज्ञ से बेसिक हियरिंग टेस्ट (Audiometry) कराएँ।

❌ Don'ts - क्या न करें

  • यह मानकर न चलें कि यह "बुज़ुर्गों में सामान्य है।"
  • TV/मोबाइल की आवाज़ और बढ़ाकर समस्या छुपाने की कोशिश न करें।
2

टीवी या मोबाइल की आवाज़ बहुत तेज़ करना

अगर घर में कोई हमेशा दूसरों से ज़्यादा आवाज़ पर सुनना चाहता है, तो यह साफ़ चेतावनी है।

✅ Do's - क्या करें

  • परिवार के अलग-अलग सदस्यों को आवाज़ के स्तर पर ध्यान दें।
  • सुनने की क्षमता का बेसलाइन टेस्ट कराएँ।
  • समस्या की जड़ तक पहुँचें (कान का मैल, संक्रमण या उम्र से जुड़ी समस्या)।

❌ Don'ts - क्या न करें

  • "टीवी का स्पीकर ख़राब है" या "आवाज़ क्लियर नहीं है" जैसे बहाने न बनाएं।
  • दवा दुकानों से मनमाने "हियरिंग ड्रॉप्स" न लें।
3

कान से पस या पानी आना

बार-बार कान बहना कान के पर्दे और अंदरूनी हिस्सों को धीरे-धीरे नुकसान पहुँचा सकता है।

✅ Do's - क्या करें

  • तुरंत ENT डॉक्टर से जाँच कराएँ।
  • कान को सूखा रखें और गंदा पानी (नदी/तालाब) से बचाएँ।
  • डॉक्टर की सलाह पर सही दवा या सर्जरी करवाएँ।

❌ Don'ts - क्या न करें

  • कॉटन बड, माचिस की तीली या अन्य नुकीली चीज़ कान में न डालें।
  • बार-बार एंटीबायोटिक या ड्रॉप्स बदलना — बिना टेस्ट के — न करें।
4

शोरगुल में समझने में दिक़्क़त

अगर बाज़ार, शादी, या ट्रेन जैसी भीड़ में शब्द समझने में परेशानी हो रही है, तो यह सामान्य "उम्र का असर" नहीं है।

✅ Do's - क्या करें

  • अपने कानों का नियमित चेक-अप करवाएँ।
  • डॉक्टर से पूछें कि क्या आपको साउंड डिस्क्रिमिनेशन टेस्ट की ज़रूरत है।
  • सामाजिक जगहों पर बैठने की आदत बदलें (जैसे शोर से दूर बैठना)।

❌ Don'ts - क्या न करें

  • इसे "सिर्फ़ थकान" समझकर टालें नहीं।
  • तेज़ आवाज़ वाले इयरफ़ोन का लगातार प्रयोग न करें।
5

बच्चों में बोलने में देरी

बच्चे 1 साल की उम्र तक "माँ-बाबा" जैसे शब्द बोलना शुरू कर देते हैं। अगर 2–3 साल तक बच्चा स्पष्ट नहीं बोल रहा है, तो कान की समस्या हो सकती है।

✅ Do's - क्या करें

  • जन्म के तुरंत बाद और 6 महीने पर नवजात हियरिंग स्क्रीनिंग ज़रूर करवाएँ।
  • अगर बच्चा देर से बोल रहा है, ENT + स्पीच थेरेपी दोनों की सलाह लें।
  • बार-बार कान बहना या सर्दी-जुकाम होने पर तुरंत इलाज करवाएँ।

❌ Don'ts - क्या न करें

  • इसे "लड़के देर से बोलते हैं" या "परिवार में सब लेट बोलते हैं" मानकर टालें।
  • बच्चे को डाँटें या दोष दें — यह उसकी गलती नहीं है।

🦻 कान से पस या पानी आना - विस्तृत जानकारी

🌟 कान से पस क्यों आता है? (कारण)

  • बार-बार सर्दी-जुकाम या नाक बंद रहना नाक और कान आपस में जुड़े होते हैं। नाक की एलर्जी और जुकाम कान तक फैलकर पस बना देते हैं।
  • कान में संक्रमण (Infection) बच्चों और बड़ों में बार-बार गंदा पानी या धूल-मिट्टी लगने से कान में कीटाणु पनपते हैं।
  • कान का पर्दा फटना (Ear Drum Perforation) अगर कान में चोट लगे, ज़्यादा दबाव पड़े या पुराना संक्रमण रहे तो कान का पर्दा फट सकता है, जिससे पस निकलता है।
  • कान में चोट या खुरचना कॉटन बड, माचिस की तीली, हेयर पिन से कान कुरेदने से ज़ख्म और इन्फेक्शन होता है।
  • बच्चों में बार-बार कान बहना बच्चों में कान बहने की वजह से सुनाई कम होना, बोलने में देरी और पढ़ाई में दिक़्क़त हो सकती है।

✅ क्या करें (Do's)

  • कान से पस आते ही ENT डॉक्टर को दिखाएँ।
  • कान हमेशा सूखा रखें। नहाते समय कान में पानी न जाने दें।
  • डॉक्टर द्वारा दी गई दवा और कान की ड्रॉप्स पूरा कोर्स करें।
  • बच्चों के कान बहने को हल्के में न लें।
  • अगर कान में बदबू वाला पस, खून या साथ में सिरदर्द/चक्कर आ रहा है तो तुरंत हॉस्पिटल पहुँचें।

❌ क्या न करें (Don'ts)

  • कान में कुछ भी न डालें (कॉटन बड, तीली, हेयर पिन, सरसों का तेल, लहसुन का रस आदि)।
  • बिना डॉक्टर की सलाह के बार-बार दवा बदलना या बीच में रोक देना न करें।
  • "अपने आप ठीक हो जाएगा" सोचकर देर न करें।
  • गंदे तालाब/नदी में नहाते समय कान में पानी न जाने दें।

🏠 सुरक्षित घरेलू सावधानियाँ (Home Care)

⚠️ याद रखें: घर के नुस्ख़े इलाज का विकल्प नहीं हैं, सिर्फ़ अस्थायी मदद कर सकते हैं।
  • कान में पानी न जाए, इसके लिए रुई पर थोड़ा नारियल तेल या वैसलीन लगाकर कान में ढक सकते हैं (नहाते समय)।
  • कान के बाहर की त्वचा को हल्के हाथ से साफ़ करें, लेकिन भीतर कुछ न डालें।
  • कान बहने पर गुनगुना कपड़ा कान पर हल्के से रखें (गरम सेंक जैसा) – दर्द में आराम मिलेगा।
  • बच्चे के कान बह रहे हों तो स्कूल और पढ़ाई पर असर पड़ने से पहले डॉक्टर से जाँच कराएँ।

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